EV Charging Station Business in India – License, Subsidy, Setup Cost (2025 Guide) in hindi

EV Charging Station

EV Charging Station एक ऐसी जगह होती है जहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों को बिजली से चार्ज किया जाता है, ठीक वैसे जैसे पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीज़ल डाला जाता है। लेकिन अंतर ये है कि यहाँ ईंधन नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा यानी बिजली दी जाती है जो वाहन की बैटरी को दोबारा ऊर्जा देती है। जैसे-जैसे भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ रही है, वैसे ही चार्जिंग स्टेशनों की ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है।

अभी बहुत सारे लोग EV खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन उनके मन में सबसे बड़ा सवाल यही है—”जब रास्ते में बैटरी खत्म होगी, तब चार्ज कहाँ करेंगे?” अगर देशभर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत नहीं होगा, तो लोग EV अपनाने से डरेंगे। यही वजह है कि सरकार और कंपनियाँ अब EV चार्जिंग स्टेशन को तेज़ी से बढ़ा रही हैं ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले ईंधन से बचा जा सके और लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर आश्वस्त महसूस करें।

  भारत में EV मार्केट का ग्रोथ और ट्रेंड (2025 तक)

ev charging station

भारत में EV मार्केट 2025 तक तेज़ी से विस्तार की ओर बढ़ रहा है। S&P ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) का उत्पादन लगभग तीन गुना बढ़ सकता है—जो 2024 में 1.3 लाख यूनिट था, वो 2025 में बढ़कर 3.77 लाख यूनिट तक पहुँचने की उम्मीद है2।

इस ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैं:

  • सरकारी सब्सिडी और PLI स्कीम, जो बैटरी टेक्नोलॉजी और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित कर रही हैं
  • बड़े ऑटो ब्रांड्स जैसे Tata Motors, Maruti Suzuki, Hyundai और Mahindra अपने नए EV मॉडल्स लॉन्च कर रहे हैं
  • 2025 में 19 नई EV मॉडल्स आने वाली हैं, जिनमें eVitara, Electric Creta और Nexon EV जैसे नाम शामिल हैं

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी तेज़ी से बढ़ रहा है—2022 में जहाँ सिर्फ 5,151 चार्जिंग स्टेशन थे, वहीं 2025 की शुरुआत तक ये संख्या 26,000 से ज़्यादा हो चुकी है।

हालांकि, अभी भी 58% संभावित खरीदारों को रेंज एंग्जायटी यानी चार्जिंग खत्म होने का डर बना रहता है। यही वजह है कि Ultra-Fast Charging टेक्नोलॉजी और ग्रामीण इलाकों में चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार इस ग्रोथ को sustain करने के लिए ज़रूरी है

  EV Charging Station शुरू करने के फायदे

EV Charging Station शुरू करना आज के समय में एक ऐसा बिज़नेस है जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक रूप से भी काफी मजबूत साबित हो सकता है। जैसे-जैसे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत भी तेज़ी से बढ़ रही है। यही वजह है कि EV चार्जिंग स्टेशन खोलना अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट बन चुका है।

इस बिज़नेस की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें अभी competition बहुत कम है। ज़्यादातर लोग अभी भी पारंपरिक बिज़नेस मॉडल्स में फंसे हुए हैं, जबकि EV सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि अगर आप अभी शुरुआत करते हैं, तो आप मार्केट में जल्दी establish हो सकते हैं और long-term में एक मजबूत ब्रांड बना सकते हैं।

दूसरी बात, इस सेक्टर में demand बहुत ज़्यादा है। हर महीने हजारों लोग EV खरीद रहे हैं, लेकिन उन्हें चार्जिंग की सुविधा नहीं मिल रही। ऐसे में अगर आपके स्टेशन की लोकेशन सही है—जैसे हाईवे, मॉल, अपार्टमेंट या ऑफिस एरिया—तो ग्राहक खुद-ब-खुद आपके पास आएंगे।

तीसरा और सबसे बड़ा फायदा है सरकारी समर्थन। भारत सरकार FAME-II जैसी योजनाओं के तहत EV चार्जिंग स्टेशन लगाने वालों को सब्सिडी देती है। कई राज्य सरकारें भी अतिरिक्त ग्रांट और टैक्स छूट देती हैं। DISCOM से सस्ती दरों पर बिजली मिलती है, और कई कंपनियाँ फ्रेंचाइज़ी मॉडल में भी मदद करती हैं।

कुल मिलाकर, EV चार्जिंग स्टेशन शुरू करना एक ऐसा कदम है जो आपको कम निवेश में ज्यादा रिटर्न दे सकता है—वो भी एक ऐसे सेक्टर में जो आने वाले सालों में भारत की ऊर्जा क्रांति का चेहरा बनने वाला है

Exercise karne ka sahi time

EV Charging Station खोलने के लिए लाइसेंस की ज़रूरत है या नहीं?

EV Charging Station खोलने के लिए लाइसेंस की ज़रूरत है या नहीं?

भारत में EV Charging Station खोलने के लिए कोई विशेष लाइसेंस लेने की ज़रूरत नहीं होती। Ministry of Power ने इसे एक सर्विस कैटेगरी में रखा है, जिसका मतलब है कि आप इसे बिना किसी भारी कानूनी बाधा के शुरू कर सकते हैं। हालांकि, कुछ जरूरी guidelines और approvals हैं जिन्हें follow करना अनिवार्य है ताकि आपका स्टेशन सुरक्षित और नियमों के अनुरूप हो।

सरकार की Revised Guidelines के अनुसार, कोई भी व्यक्ति या संस्था EV चार्जिंग स्टेशन खोल सकती है—चाहे वो पब्लिक हो या प्राइवेट। लेकिन आपको कुछ तकनीकी और सुरक्षा मानकों का पालन करना होता है। उदाहरण के लिए, चार्जिंग स्टेशन पर CCS, CHAdeMO, Type-2 AC, Bharat AC 001 जैसे चार्जर इंस्टॉल करने की सलाह दी जाती है।

आपको Ministry of Power की गाइडलाइंस के तहत निम्न approvals लेने पड़ सकते हैं:

  • DISCOM से बिजली कनेक्शन की अनुमति
  • Fire Safety Certificate
  • Pollution Control Board से clearance (कुछ मामलों में)
  • BIS-certified चार्जिंग उपकरण
  • स्थानीय नगर निगम या प्राधिकरण से NOC

इन approvals का मकसद है कि आपका स्टेशन तकनीकी रूप से सुरक्षित हो और उपभोक्ताओं को भरोसेमंद सेवा मिले।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि EV चार्जिंग स्टेशन खोलने के लिए कोई commercial license की अनिवार्यता नहीं है, जिससे ये बिज़नेस मॉडल और भी accessible बन जाता है

 EV Charging Station लगाने के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर

 EV Charging Station लगाने के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर

EV Charging Station लगाने के लिए सबसे पहले आपको एक ऐसी जगह की ज़रूरत होती है जहाँ वाहन आसानी से आ-जा सकें और चार्जिंग के दौरान सुरक्षित तरीके से खड़े रह सकें। आमतौर पर 3m x 5m की जगह एक चार्जिंग पॉइंट के लिए पर्याप्त होती है, लेकिन अगर आप multiple chargers या heavy vehicles को accommodate करना चाहते हैं, तो आपको ज़्यादा जगह की ज़रूरत पड़ेगी। हाईवे, मॉल, ऑफिस एरिया या अपार्टमेंट जैसी जगहें ideal मानी जाती हैं।

बिजली कनेक्शन के लिए आपको DISCOM से high-load connection लेना होता है। अगर आप fast chargers लगाना चाहते हैं, तो dedicated transformer और 33/11 KV केबल की ज़रूरत पड़ेगी। सरकार ने EV चार्जिंग के लिए special tariff plans भी लागू किए हैं ताकि बिजली सस्ती दरों पर मिले। कुछ राज्यों में सोलर पैनल integration की सुविधा भी दी जा रही है जिससे बिजली खर्च और carbon footprint दोनों कम होते हैं।

चार्जर की बात करें तो आपको slow (AC) और fast (DC) दोनों तरह के chargers लगाने चाहिए। Bharat AC-001, Type-2 AC, Bharat DC-001, CCS और CHAdeMO जैसे चार्जर भारत में approved हैं। Type-2 और CCS2 connectors आजकल सबसे ज़्यादा compatible हैं और future-ready भी माने जाते हैं। charger selection location और target vehicle type पर निर्भर करता है—जैसे मॉल में slow charger और हाईवे पर fast charger ज़्यादा उपयोगी होते हैं।

सुरक्षा setup में आपको fire safety equipment, CCTV surveillance, emergency cut-off switch और proper insulation का ध्यान रखना होता है। BIS और CEA के safety standards को follow करना अनिवार्य है ताकि आपका स्टेशन legal और सुरक्षित दोनों रहे। साथ ही, EVSE management software और smart billing system भी लगाना चाहिए जिससे user experience seamless हो और आप remotely station को manage कर सकें।

  EV चार्जिंग स्टेशन के लिए कौन-कौन से चार्जर इस्तेमाल होते हैं?

EV चार्जिंग स्टेशन पर इस्तेमाल होने वाले चार्जर मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं—Bharat AC, Bharat DC, CCS और CHAdeMO। इनका चुनाव वाहन की बैटरी क्षमता, चार्जिंग स्पीड और compatibility पर निर्भर करता है।

Bharat AC-001 चार्जर slow charging के लिए होता है और 3.3 kW तक की output देता है। ये छोटे EVs जैसे e-scooter या e-rickshaw के लिए उपयुक्त है। इसकी अनुमानित कीमत ₹65,000 के आसपास होती है।

Bharat DC-001 चार्जर fast charging के लिए होता है और 15 kW तक की output देता है। ये चार्जर दो और तीन पहिया वाहनों के लिए ideal है। इसकी कीमत लगभग ₹2.47 लाख होती है।

CCS (Combined Charging System) एक international standard है जो AC और DC दोनों चार्जिंग को सपोर्ट करता है। ये चार्जर 50 kW से लेकर 350 kW तक की तेज़ चार्जिंग क्षमता रखते हैं और बड़े EVs जैसे कार और commercial vehicles के लिए उपयुक्त हैं। CCS चार्जर की कीमत ₹14 लाख तक जा सकती है।

CHAdeMO चार्जर जापानी टेक्नोलॉजी पर आधारित है और fast DC charging के लिए इस्तेमाल होता है। ये 50 kW से लेकर 400 kW तक की output दे सकता है। भारत में इसका उपयोग कम है लेकिन कुछ imported EVs इसे सपोर्ट करते हैं। इसकी कीमत भी ₹13.5 लाख के आसपास होती है।

हर चार्जर की compatibility अलग-अलग होती है—जैसे Nissan Leaf CHAdeMO सपोर्ट करता है, जबकि Hyundai Kona और Tata Nexon CCS2 को सपोर्ट करते हैं3। इसलिए चार्जर का चुनाव करते समय target vehicle segment और future scalability को ध्यान में रखना ज़रूरी है।

  EV Station लगाने में कितना खर्च आता है? (Setup Cost Breakdown)

  EV Station लगाने में कितना खर्च आता है? (Setup Cost Breakdown)

₹1 लाख से ₹50 लाख तक का खर्च—land, charger, branding, etc.

EV चार्जिंग स्टेशन लगाने में खर्च कई चीज़ों पर निर्भर करता है—जैसे आप किस तरह का चार्जर लगाना चाहते हैं, लोकेशन क्या है, और आप कितने पॉइंट्स से शुरुआत कर रहे हैं। एक बेसिक सेटअप ₹1 लाख से शुरू हो सकता है, जबकि एक full-scale public station में ₹50 लाख तक का खर्च आ सकता है2।

अगर आप सिर्फ दोपहिया या ई-रिक्शा के लिए slow charger लगाते हैं, तो ₹1–₹5 लाख में काम हो सकता है। वहीं अगर आप highway या commercial zone में fast DC chargers लगाना चाहते हैं, तो खर्च ₹30–₹50 लाख तक जा सकता है।

EV चार्जिंग स्टेशन सेटअप का अनुमानित खर्च

खर्च का हिस्सा अनुमानित लागत (₹)
चार्जर (AC/DC) ₹65,000 – ₹14,00,000
बिजली कनेक्शन + ट्रांसफॉर्मर ₹5,00,000 – ₹10,00,000
सिविल वर्क (पोल, शेड, फाउंडेशन) ₹2,00,000 – ₹3,00,000
साइट लीज / जमीन किराया ₹3,00,000 – ₹6,00,000 प्रति वर्ष
सॉफ्टवेयर + नेटवर्किंग ₹40,000 – ₹1,00,000
ब्रांडिंग और मार्केटिंग ₹50,000+
टेक्निकल टीम / मेंटेनेंस ₹10,000 – ₹20,000 प्रति माह

अगर आपके पास पहले से जमीन है या आप किसी existing commercial space में स्टेशन लगाते हैं, तो खर्च काफी कम हो सकता है। साथ ही, सरकार की FAME-II स्कीम और राज्य की EV policies से subsidy भी मिल सकती है, जिससे initial investment और जल्दी recover हो सकता है

  सरकारी सब्सिडी और FAME-II Scheme का फायदा कैसे लें?

सरकारी सब्सिडी और FAME-II Scheme का मकसद भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता और आम जनता के लिए सुलभ बनाना है। FAME-II (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles) योजना अप्रैल 2019 में शुरू हुई थी और मार्च 2024 तक लागू रही। इसके तहत दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दी गई थी। हालांकि 2025 में यह योजना समाप्त हो चुकी है और अब इसकी जगह Electric Mobility Promotion Scheme (EMPS) 2024 लागू है।

EMPS के तहत अब सब्सिडी सीधे ग्राहक को नहीं दी जाती, बल्कि डीलर या निर्माता को दी जाती है और वाहन की कीमत में पहले से ही घटाकर दी जाती है। दोपहिया वाहनों पर ₹10,000 और तिपहिया पर ₹25,000–₹50,000 तक की सब्सिडी मिलती है, लेकिन ये केवल उन्हीं मॉडलों पर लागू होती है जो Ministry of Heavy Industries द्वारा प्रमाणित हैं।

अगर आप EV खरीदना चाहते हैं, तो आपको:

किसी EMPS-approved डीलर से ही वाहन खरीदना होगा

वाहन का नाम और मॉडल सरकारी सूची में शामिल होना चाहिए

सब्सिडी की राशि पहले से ही बिल में घटाकर दी जाएगी—अलग से कोई फॉर्म भरने की ज़रूरत नहीं होती

अब बात करते हैं PSU OMCs को मिलने वाली ₹800 करोड़ की सब्सिडी की। सरकार ने इंडियन ऑयल (IOCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी तेल कंपनियों को ₹800 करोड़ की सब्सिडी दी है ताकि वे देशभर में 7,432 EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर सकें। यह सब्सिडी केवल CCS-II फॉर्मेट चार्जर के लिए दी जा रही है—CHAdeMO जैसे अन्य फॉर्मेट पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।

इसका उद्देश्य है कि:

पेट्रोल पंप पर EV चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध हो

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से बढ़ाया जाए

लोगों को EV अपनाने में भरोसा मिले

अगर आप एक निजी डेवलपर हैं, तो इस ₹800 करोड़ की सब्सिडी सीधे आपके लिए नहीं है। यह केवल सरकारी तेल कंपनियों को दी गई है। लेकिन आप राज्य सरकार की EV नीति या FAME के तहत अन्य सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं—जैसे सस्ती बिजली दरें, टैक्स छूट, या सोलर चार्जिंग के लिए ग्रांट।

  EV Charging Station के लिए Franchise कैसे लें?

EV चार्जिंग स्टेशन के लिए फ्रेंचाइज़ी लेना आज के समय में एक स्मार्ट और फ्यूचर-प्रूफ बिज़नेस मॉडल बन चुका है। जैसे-जैसे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग भी तेज़ी से बढ़ रही है। Tata Power, Statiq, ChargeZone जैसे ब्रांड्स इस सेक्टर में अग्रणी हैं और ये फ्रेंचाइज़ी मॉडल के ज़रिए नए पार्टनर्स को जोड़ रहे हैं।

अगर आप Tata Power से फ्रेंचाइज़ी लेना चाहते हैं, तो आपको उनकी वेबसाइट या EZ Charge पोर्टल पर inquiry भेजनी होती है। Tata Power आपके लोकेशन की feasibility चेक करता है, और अगर जगह उपयुक्त पाई जाती है, तो वे installation से लेकर branding तक का पूरा सेटअप खुद करते हैं। आपको सिर्फ ज़मीन, बिजली कनेक्शन और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर देना होता है। Tata Power का नेटवर्क 550+ शहरों में फैला हुआ है और वे 5,500 से ज़्यादा चार्जिंग पॉइंट्स ऑपरेट कर रहे हैं।

Statiq और ChargeZone जैसे ब्रांड्स भी फ्रेंचाइज़ी मॉडल में काम कर रहे हैं। इन कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करने पर आपको उनके EVSE सॉफ़्टवेयर, billing system, और customer support का एक्सेस मिलता है। Statiq का फोकस urban और highway चार्जिंग पर है, जबकि ChargeZone high-speed DC chargers के लिए जाना जाता है। इन ब्रांड्स के साथ काम करने के लिए आपको एक formal MoU साइन करना होता है, जिसमें revenue sharing, maintenance और branding की शर्तें तय होती हैं。

फ्रेंचाइज़ी लेने के लिए ज़रूरी बातें:

आपके पास high-footfall लोकेशन होनी चाहिए (जैसे मॉल, होटल, पेट्रोल पंप)

बिजली कनेक्शन और safety approvals पहले से तैयार हों

ब्रांड की eligibility criteria को पूरा करना ज़रूरी है (जैसे minimum area, investment capacity)

कुछ कंपनियाँ RFID कार्ड और loyalty program भी देती हैं जिससे customer experience बेहतर होता है

अगर आप EV चार्जिंग स्टेशन को जल्दी operational करना चाहते हैं, तो फ्रेंचाइज़ी मॉडल सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। इससे आपको established brand का भरोसा, टेक्निकल सपोर्ट और customer base—all-in-one मिल जाता है।

  EV Station से कमाई कैसे होती है? (Revenue Model)

₹10–₹20/kWh, fleet tie-ups, advertising, ancillary services

EV चार्जिंग स्टेशन से कमाई का मॉडल सीधा है लेकिन इसमें कई ऐसे पहलू हैं जो इसे एक मल्टी-सोर्स इनकम बिज़नेस बना देते हैं। सबसे पहली कमाई होती है चार्जिंग फीस से, जो आमतौर पर ₹10 से ₹20 प्रति यूनिट (kWh) के बीच होती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई EV 25 kWh चार्ज करता है और आप ₹20/kWh चार्ज करते हैं, तो एक गाड़ी से ₹500 की कमाई होती है। वहीं बिजली का खर्च ₹6/kWh मानें तो ₹150 होता है—यानि एक गाड़ी से ₹350 का शुद्ध मुनाफा।

अगर आपके स्टेशन पर रोज़ाना 10 गाड़ियाँ आती हैं, तो महीने की कमाई ₹1 लाख से ऊपर जा सकती है। और जैसे-जैसे EV की संख्या बढ़ेगी, daily footfall भी बढ़ेगा।

दूसरा बड़ा revenue source है fleet tie-ups। आप delivery कंपनियों, taxi aggregators या logistics फर्म्स से कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं ताकि उनकी गाड़ियाँ आपके स्टेशन पर नियमित रूप से चार्ज हों। इससे आपको bulk charging का फायदा मिलेगा और revenue stable रहेगा।

तीसरा तरीका है advertising और sponsorships। आप अपने चार्जिंग स्टेशन पर digital screens, hoardings या kiosk branding के ज़रिए local businesses से ad revenue कमा सकते हैं। खासकर मॉल, हाईवे या ऑफिस एरिया में ये model बहुत अच्छा काम करता है।

चौथा source है ancillary services—जैसे food kiosk, Wi-Fi lounge, mini café या waiting area। जब ग्राहक अपनी गाड़ी चार्ज कर रहे होते हैं, तो वो इन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं और आप उनसे अलग से कमाई कर सकते हैं। ये न सिर्फ revenue बढ़ाता है, बल्कि customer experience भी बेहतर बनाता है।

कुल मिलाकर, EV चार्जिंग स्टेशन सिर्फ बिजली बेचने का काम नहीं करता—ये एक multi-service hub बन सकता है जो चार्जिंग के साथ-साथ convenience और branding से भी कमाई करता है।

1 thought on “EV Charging Station Business in India – License, Subsidy, Setup Cost (2025 Guide) in hindi”

Leave a Comment