तिरुवनंतपुरम सामूहिक हत्याकांड (2025): एक पूरे समाज को झकझोर देने वाली घटना
परिचय
केरल में 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं के शांत और शिक्षित शहर तिरुवनंतपुरम में फरवरी 2025 में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे राज्य ही नहीं, बल्कि देश को भी स्तब्ध कर दिया। मात्र 23 वर्ष का एक युवक, अफान, जिसने कभी सामान्य जीवन जीने का दावा किया था, अचानक एक ही दिन में अपने परिवार के पाँच सदस्यों की हत्या कर बैठा। यह घटना न केवल एक जघन्य अपराध थी, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक दबाव और सामाजिक उपेक्षा जैसे गंभीर विषयों की ओर भी इशारा करती है।
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Toggleघटना का विस्तृत विवरण 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं
5 फरवरी 2025 को अफान ने क्रमिक रूप से अपने ही परिवार के पाँच करीबी सदस्यों की हत्या कर दी। हत्या की शुरुआत उसने अपने घर से की, जहाँ उसने अपनी माँ और भाई की हत्या की। इसके बाद वह अपने चाचा-चाची के घर गया और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। अंत में उसने अपनी प्रेमिका को भी मार डाला। इन सभी हत्याओं को उसने बेहद योजनाबद्ध और क्रूर तरीके से अंजाम दिया। हत्या के बाद अफान ने आत्महत्या का प्रयास भी किया, लेकिन वह बच गया और कुछ समय बाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
केरल में 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं हत्या का कारण और पृष्ठभूमि
5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं पुलिस और मनोवैज्ञानिकों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में सामने आया कि अफान आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उस पर लाखों का कर्ज था, और वह बेरोजगारी की स्थिति में था। परिवार से अपेक्षित सहयोग और भावनात्मक समर्थन न मिलने के कारण उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। यह भी माना जा रहा है कि अफान लंबे समय से डिप्रेशन और एंग्जायटी से पीड़ित था, लेकिन उसका इलाज नहीं हो पाया।
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इसके अलावा, उसके पारिवारिक संबंध भी तनावपूर्ण थे। मां और भाई के साथ आए दिन झगड़े होते थे। चाचा-चाची से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। वहीं, 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं प्रेमिका के साथ भी रिश्ता टूटने की कगार पर था। इन सबने मिलकर अफान के भीतर वर्षों से दबे क्रोध और हताशा को एक ज्वालामुखी की तरह फूटने पर मजबूर कर दिया।
सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को आज भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। अफान की मानसिक स्थिति को उसके आसपास के 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं किसी भी व्यक्ति ने समय रहते समझने की कोशिश नहीं की। न ही किसी ने उसे काउंसलिंग या चिकित्सीय सहायता दिलाने का प्रयास किया। यह घटना उन लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो मानसिक बीमारियों से जूझते हैं, लेकिन सहायता न मिलने के कारण अपराध या आत्महत्या जैसे चरम कदम उठा लेते हैं।
प्रतिक्रिया और नीतिगत विचार
घटना के बाद राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से मामले की गहन जांच के आदेश दिए गए। केरल पुलिस ने भी इसे एक असाधारण मामला मानते हुए विशेष जांच टीम का गठन किया। नागरिकों ने सोशल मीडिया और जनसभा के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और काउंसलिंग सेवाओं को सुलभ बनाने की मांग उठाई।
शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण को अनिवार्य करने की चर्चा भी शुरू हुई है, ताकि युवा समय रहते सही मार्गदर्शन और उपचार पा सकें।
निष्कर्ष
तिरुवनंतपुरम का यह सामूहिक हत्याकांड केवल एक अपराध नहीं था—यह समाज के लिए एक चेतावनी थी। यह एक ऐसा आईना है जिसमें हम सबको अपनी भूमिका देखने की जरूरत है: क्या हमने अपने आसपास के लोगों को सुना है? क्या हम मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं? क्या हम दूसरों की तकलीफों को पहचानते हैं?
यह घटना हमें सिखाती है कि अगर समय रहते मानसिक और भावनात्मक संकटों को पहचाना जाए और सही तरीके से उनका समाधान किया जाए, तो शायद कई जीवन बच सकते हैं। समाज को अब केवल अपराधी को सजा देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, 5 लोगों का क़त्ल और किसी को शक भी नहीं बल्कि इस तरह की घटनाओं को जड़ से रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।