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इस ब्लॉग में आपको बताया गया है, कि 28 मई 2025 को कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बंटवाल तालुक में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। जिसमें 32 वर्षीयअब्दुल रहीम की हत्या जो कोलथमाजलु जुम्मा मस्जिद के सचिव और एक पिकअप वाहन चालक थे, की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह घटना क्षेत्र में बढ़ती सांप्रदायिक तनाव की एक और कड़ी बन गई है। मंगलवार को अब्दुल रहीम और उनके सहयोगी कलंदर शफी एक पिकअप वाहन में रेत लादकर कुरियाल गांव के इरा कोडी इलाके में एक ग्राहक के घर पर रेत उतारने गए थे। जब वे रेत उतार रहे थे, तभी दीपक, सुमित आचार्य और अन्य 13 लोगों का एक समूह वहां पहुंचा और रहीम पर तलवारों, चाकुओं और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों के शोर मचाने पर हमलावर मौके से फरार हो गए। इस बयान के आधार पर बंटवाल ग्रामीण पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस ने पांच टीमों का गठन कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। इस हत्या ने क्षेत्र में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे क्षेत्र की शांति भंग करने की “सुनियोजित साजिश” बताया है। घटना के बाद, दक्षिण कन्नड़ के उपायुक्त ने बंटवाल, बेल्थांगडी, पुत्तूर, कडबा और सुलिया तालुकों में 27 मई शाम 6 बजे से 30 मई शाम 6 बजे तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। यह कदम क्षेत्र में संभावित तनाव को देखते हुए उठाया गया है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में, 1 मई को हिंदुत्व कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या हुई थी, जिससे क्षेत्र में पहले ही तनाव था। अब अब्दुल रहीम की हत्या ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। इस घटना की निष्पक्ष और गहन जांच आवश्यक है, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
कौन था अब्दुल रहीम और क्यों हुई उसकी हत्या?
28 मई 2025 को कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बंटवाल तालुक में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें 32 वर्षीय अब्दुल रहीम, जो कोलथमाजलु जुम्मा मस्जिद के सचिव और एक पिकअप वाहन चालक थे, की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह घटना क्षेत्र में बढ़ती सांप्रदायिक तनाव की एक और कड़ी बन गई है।
क्या हुआ उस दिन जब अब्दुल रहीम पर हमला हुआ?
मंगलवार को अब्दुल रहीम और उनके सहयोगी कलंदर शफी एक पिकअप वाहन में रेत लादकर कुरियाल गांव के इरा कोडी इलाके में एक ग्राहक के घर पर रेत उतारने गए थे। जब वे रेत उतार रहे थे, तभी दीपक, सुमित आचार्य और अन्य 13 लोगों का एक समूह वहां पहुंचा और रहीम पर तलवारों, चाकुओं और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। कलंदर शफी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उन पर भी हमला किया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों के शोर मचाने पर हमलावर मौके से फरार हो गए।
कौन थे हमलावर और कैसे हुई उनकी पहचान?
घायल शफी को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने पुलिस को बताया कि हमलावरों में से दो, दीपक और सुमित, उनके परिचित थे। इस बयान के आधार पर बंटवाल ग्रामीण पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस ने पांच टीमों का गठन कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
इस हत्या पर समाज और प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया रही?
इस हत्या ने क्षेत्र में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे क्षेत्र की शांति भंग करने की “सुनियोजित साजिश” बताया है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने हत्या को किस प्रकार का अपराध बताया?
पूर्व महापौर और मुस्लिम ओक्कूटा के अध्यक्ष के अशरफ ने भी इस हत्या की निंदा की है और इसे “सांप्रदायिक घृणा से प्रेरित पूर्व नियोजित अपराध” बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपराधियों ने पहले से ही अपने इरादों की घोषणा कर दी थी, फिर भी पुलिस इसे रोकने में विफल रही।
धारा 144 किस इलाक़े में और कब से लागू की गई?
घटना के बाद, दक्षिण कन्नड़ के उपायुक्त ने बंटवाल, बेल्थांगडी, पुत्तूर, कडबा और सुलिया तालुकों में 27 मई शाम 6 बजे से 30 मई शाम 6 बजे तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। यह कदम क्षेत्र में संभावित तनाव को देखते हुए उठाया गया है।
यह हत्या कब और किस समय हुई?
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में, 1 मई को हिंदुत्व कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या हुई थी, जिससे क्षेत्र में पहले ही तनाव था। अब अब्दुल रहीम की हत्या ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है।
निष्कर्ष
अब्दुल रहीम की हत्या न केवल एक व्यक्ति की जान जाने की घटना है, बल्कि यह क्षेत्र में बढ़ती सांप्रदायिक विभाजन और हिंसा की चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत देती है। इस घटना की निष्पक्ष और गहन जांच आवश्यक है, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।